योग

प्राणायाम का मुख्य उद्देश्य, लाभ, प्रकार

प्राणायाम दो शब्दों से मिलकर बना है - प्राण + आयाम। प्राण = जीवनी शक्ति। आयाम - विस्तार या धारण करना, नियंत्रण करना या रोकना, अर्थात श्वास तथा प्रश्वास की गति को अवरूद्व करना ही प्राणायाम है। जिस प्रकार स्वास्थ्य की वृद्धि के लिए व्यायाम का विशेष महत्…

अष्टांग योग के आठ अंग कौन-कौन से हैं ?

भारतवर्ष में योग साधना की परंपरा प्राचीन काल से ही चली आ रही है। पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान शंकर योग के आदि आचार्य माने जाते हैं, तो भगवान श्रीकृष्ण योगीराज। वेदों में तो योग का गंभीर विवेचन किया है। योगदर्शन के प्रणेता महर्षि पतंजलि पहले ही सूत्…

योग दर्शन का परिचय | Yog Darshan Ka Parichay

‘दर्शन' शब्द की उत्पत्ति संस्कृत भाषा के 'दृश' धातु से हुई है, जिसका अर्थ है देखना। दर्शन शब्द का अर्थ है “दृश्यते अनेन इति दर्शनम् " जिसके द्वारा देखा - जाय तो वह दर्शन है, अर्थात वस्तु का वास्तविक स्वरूप जाना जाय वह दर्शन है । वेदों…

कपालभाति प्राणायाम कैसे करें और इसके क्या फायदे हैं?

कपाल का अर्थ है मस्तिष्कए व भॉंति का अर्थ होता है चमकाना,अर्थात प्रकासित करना। कपालभाति की क्रिया में मतिष्क का का शोधन होता है। वस्तुतः कपालभाति शोधन की ही क्रिया है परन्तु कई जगह इसे प्राणायाम की क्रिया भी कहा गया है।कपालभाति की एक प्रक्रिया में श्व…

योग क्या है वर्तमान में इसकी योग उपयोगिता ?

योग एक आध्यात्मिक विद्या है किन्तु आधुनिक समय में योग का उन्नयन एवं विकास स्वास्थ्य योग विज्ञान के रूप में हो रहा है। आज योग को स्वास्थ्य के क्षेत्र में असीम सफलता प्राप्त हो रही है और लोग इससे पूर्णरूप से प्रभावित एवं लाभान्वित हो रहें हैं। योग और आय…

महर्षि पतंजलि का जीवन का परिचय एवं रचनाएं

एक किंवदन्ती के अनुसार ऐसा ज्ञात होता है, कि प्रात:काल नदी में अचानक से सूर्य के अर्घ्य देते समय कोई बालक एक ब्राह्मण के अंजलि में आ गया और उस दृश्टान्त के कारण इनका नाम पतंजलि पड़ गया। बाद में उसी ब्राह्मण के यहां इनकी शिक्षा-दीक्षा हुई। कुछ विद्वान …

वायु चिकित्सा एवं प्राणायाम चिकित्सा क्या है?

मानव-जीवन का आधार प्राण है। प्राणों की सत्ता से ही जीवन की गतिविधियां हैं एवं शरीर में बल, स्फूर्ति, उद्यम, उत्साह और ओजस्विता है। यदि प्राणशक्ति का संरक्षण, पोषण और संवर्धन किया जाए तो शरीर को व्याधियों से मुक्त किया जा सकता है। शरीर के कण-कण में प्…

ध्यान का अर्थ, परिभाषा, प्रकार एवं महत्व

ध्यान चिन्तन की ही एक प्रक्रिया है पर ध्यान का कार्य चित्त करना नहीं अपितु चिन्तन का एकाग्रीकरण अर्थात चिन्त को एक ही लक्ष्य पर स्थिर करना ध्यान कहलाता है। सामान्यतः ईश्वर या परमात्मा में ही अपना मनोनियोग इस प्रकार करना कि केवल उसमें ही साधक निमग्न हो…

धारणा का अर्थ, परिभाषा, प्रकार, परिणाम एवं महत्व

मन (चित्त) को एक विशेष स्थान पर स्थिर करने का नाम धारणा है। यह वस्तुतः मन की स्थिरता का घोतक है। हमारे सामान्य दैनिक जीवन में विविध प्रकार के विचारों का प्रवाह चलता रहता है, दीर्घकाल तक स्थिर रूप से वे नहीं टिक पाते और मन को अस्थिर करते है इसके विपरि…

प्रत्याहार का अर्थ, परिभाषा, परिणाम एवं महत्व

इंद्रियों को अंतर्मुखी करके उनके संबंधित विषयों से विमुख करना प्रत्याहार कहलाता है। प्रत्याहार का सामान्य कार्य होता है, इन्द्रियों का संयम, दूसरे अर्थ में प्रत्याहार का अर्थ है पीछे हटना, उल्टा होना, विषयों से विमुख होना। इसमें इन्द्रियाॅं अपने वहिर…

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