इतिहास

बाल्कन युद्ध (1912-13 ई.) के कारण एवं परिणाम

बाल्कन युद्ध 1878 ई. के बर्लिन सम्मेलन के उपरांत बाल्कन राज्यों के संघ के निर्माण के लिये कई बार प्रयत्न किया गया, किन्तु प्रत्येक समय संघ के निर्माण-कार्य में कोई न कोई बाधा अवश्य उपस्थित हो जाती थी। सन् 1885 ई. मे बल्गारिया में पूर्वी रूमानिया को अ…

युवा तुर्क आंदोलन के कारण

युवा तुर्क आंदोलन की पृष्ठभूमि-  बीसवीं शताब्दी में ‘यूरोप के मरीज’ तुर्की को एक नया जीवन प्रदान करने के लिए ओटोमन साम्राज्य में एक आंदोलन चला, जिसके फलस्वरूप सुलतान अब्दुल हमीद की निरंकुशता का अन्त हो गया। इस आंदोलन को चलाने वाला तुर्को का युवावर्…

इतिहास का अर्थ, परिभाषा, विषय क्षेत्र, अध्ययन का महत्व

इतिहास न केवल भूतकाल से सम्बन्धित है वर्तमान और भविष्य से भी इसका सम्बन्ध है। अतीत (भूतकाल) की घटनाओं से हम वर्तमान में प्रेरणा लेकर भविष्य के लिए मार्ग प्रशस्त करते हैं या भविष्य के प्रति सजग रहते हैं। इतिहास पृथ्वी के धरातल पर घटित सभी घटनाओं का द्य…

मुगल साम्राज्य के पतन के कारण

1526 ई. में बाबर ने मुगल साम्राज्य की नींव डाली लगभग 200 वर्षो तक भारतवर्ष में मुगलों का आधिपत्य रहा । हुमायूं के समय साम्राज्य में भयंकर संकट आया, जिससे उसे राजगद्दी छोडकर ईरान की ओर भागना पड़ा । शासन पर शेरशाह का अधिकार हो गया, शेरशाह की मृत्यु के …

मराठों की उत्पत्ति (उदय)

मराठों का उदय सत्रहवीं शताब्दी में शक्तिशाली मराठों का उदय और अठारवीं शताब्दी के अन्त में मराठों का भारत में एक राजनीतिक सत्ता के रूप में उभरना एक महत्वपूर्ण सामाजिक व राजनीतिक घटना थी । मराठों को संगठित एवं एकत्रित करने तथा मराठा राज्य की स्थापना …

बहमनी साम्राज्य के शासक \\ बहमनी साम्राज्य के पतन के कारण

बहमनी साम्राज्य की स्थापना दक्षिण भारत में मुहम्मद तुगलक के खिलाफ विद्रोह से हुई । 1347 ई. में हसन गंगु, अलाउद्दीन बहमनशाह के नाम से गद्दी पर बैठा और दक्षिण में मुस्लिम राज्य की नींव रखी । यह मुस्लिम राज्य भारत में बहमनी साम्राज्य के नाम से प्रसिद्ध ह…

विजयनगर साम्राज्य का पतन \ Decline of Vijaynagar Empire

विजयनगर साम्राज्य के संस्थापक हरिहर प्रथम तथा बुक्काराय थे । उन्होंने सल्तनत की कमजोरी का फायदा उठाकर होयसल राज्य का (आज का तैमूर) हस्तगत कर लिया तथा हस्तिनावती (हम्पी) को अपनी राजधानी बनाया । इस साम्राज्य पर राजा के रूप में तीन राजवंशों ने राज्य कि…

चोल वंश का इतिहास | chola dynasty

पल्लव और पाण्डय जैसे अधिक शक्तिशाली राज्यों के उदय के कारण चोल वंश को अनेक वर्षो तक ग्रहण सा लगा रहा । इन शक्तियों के पतन के साथ ही चोल एक बार फिर उभरे । नवीं से बारहवीं शताब्दी तक यह राज्य दक्षिण में सर्वाधिक शक्तिशाली बना रहा । चोल शासकों ने केवल स…

पल्लव वंश का इतिहास - Pallava Vansh Ka Itihas

पल्लव भी स्थानीय कबीले के लोग थे । इन्होंने दक्षिणी आंध्र और उत्तरी तमिलनाडु में अपना राज्य स्थापित किया था । वे स्वयं को ब्राम्हण मानते थे । इन्होंने कांचीपुरम को अपनी राजधानी बनाया । यह वैदिक ज्ञान का एक बड़ा केन्द्र बन गया । पल्लवों का राजनैतिक इत…

मगध साम्राज्य का उदय के कारण

प्राचीन भारतीय इतिहास में मगध का विशेष स्थान है । प्राचीन काल में भारत अनेक छोटे-बड़े राज्यों की सत्ता थी । मगध के प्रतापी राजाओं ने इन राज्यों पर विजय प्राप्त कर भारत के एक बड़े भाग पर विशाल एवं शक्तिशाली साम्राज्य की स्थापना की और इस प्रकार मगध के …

उत्तर वैदिक काल- सामाजिक, आर्थिक & धार्मिक जीवन

उत्तर वैदिक काल का  सामाजिक जीवन उत्तर वैदिक काल में साहित्य से तत्कालीन सामाजिक दशा पर व्यापक प्रकाश पड़ता है । उत्तर वैदिक काल में ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र में समाज का चार सही-विभाजन शुरू हुआ । गोत्र और आश्रम की नई संकल्पनाएं पनपीं । …

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