औद्योगिक कर्मचारियों की चिकित्सकीय देखरेख व स्वास्थ्य सुविधायें, प्रत्येक देश में श्रम कल्याण का एक समग्र भाग है। यह केवल बीमारियों से सुरक्षा ही नही करता बल्कि कार्मिकों को शारीरिक रूप से दक्षता प्रदान कर आर्थिक विकास के लिए उत्तरदायी होता है। ‘स…
श्रम विधान सामाजिक विधान का ही एक अंग है। श्रमिक समाज के विशिष्ट समूह होते हैं। इस कारण श्रमिकों के लिये बनाये गये विधान सामाजिक विधान की एक अलग श्रेणी में आते हैं। औद्योगिक के प्रसार, मजदूरी अर्जकों के स्थायी वर्ग में वृद्धि, विभिन्न देशों के आर्थिक…
मजदूरी - मजदूरी से आशय उस भुगतान से है जो कर्मचारियों को कार्य के पारिश्रमिक के रूप में दिया जाता है। जो साप्ताहिक, पाक्षिक या मासिक होता है। मजदूरी की राशि में अन्तर कार्य के घण्टों में परिवर्तन के अनुरूप होता है। मजदूरी प्राप्त करने वाले व्यक्तियों …
कोई भी श्रम कल्याण सम्बन्धी योजना अथवा कार्यक्रम तब तक प्रभावपूर्ण रूप से नही बनाया जा सकता जब तक कि समाज के नीति निर्धारक श्रम कल्याण की आवश्यकता को स्वीकार करते हुये इसके सम्बन्ध में उपयुक्त नीति बनाते हुए अपने इरादे की स्पष्ट घोषणा न करें और इसे क…
कारखानों में काम करने वाले श्रमिकों के कल्याण, उनकी सुरक्षा और स्वास्थ्य संबंधी विभिन्न पहलुओं को नियमित करने का दायित्व सरकार अपने ऊपर लेती है। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद औद्योगिक विकास को गति प्रदान करने के लिए भारत सरकार ने कारखाना अधिनियम, 1948 (F…
शारीरिक या मानसिक रुप से किया गया कोई भी कार्य श्रम ही है, जिसके बदले में मजदूरी की प्राप्ति होती है। यदि कोई प्राणी अगर किसी उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए मानसिक या शारीरिक कार्य किया जाता है, तो वह श्रम कहलाता हैं। श्रम की परिभाषा थामस के अनुसार …
किसी उद्योग में कार्यरत कर्मचारियों की किसी समस्या के निराकरण हेतु नियोक्ता वर्ग तथा श्रमिक संघ के मध्य पारस्परिक विचार विमर्श कर जो अनुबंध या समझौता किया जाता है, उसे सामूहिक सौदेबाजी कहा जाता है। जब किसी औद्योगिक संस्थान के कर्मचारियों अथवा प्रबन्ध …
औद्योगिक संबंध के दो महत्वपूर्ण पहलू होते है। ये है- संघर्ष तथा सहयोग के पहलू। आधुनिक उद्योग प्रबंध और श्रम के सहयोग के कारण ही चलते रहते हैं यह सहयोग नियोजन में अनौपचारिक रूप से स्वत: होता रहता है। उद्योगों का चलते रहना दोनों के हितों में आवश्यक है।…