"व्यंग्य"

हरिशंकर परसाई का जीवन परिचय एवं रचनाएँ

हरिशंकर परसाई जी हिन्दी के एक प्रख्यात व्यंग्यकार हैं परसाई जी की ख्याति न केवल व्यंग्यकार के रूप में बल्कि प्रतिबद्ध लेखक के रूप में है। व्यंग्य कोई विधा नहीं बल्कि लेखक की प्रकृति या स्परिट है। इसलिये परसाई जी का मौलिक चिन्तन कहानी, उपन्यास, निबन्ध,…

मुंशी प्रेमचंद का जीवन परिचय

मुंशी प्रेमचंद का जन्म शनिवार 31 जुलाई, 1880 ई. में बनारस के लमही नामक गाँव में कायस्थ परिवार में हुआ था। प्रेमचदं का बचपन का नाम धनपतराय था, हालाँकि उनके चाचा-ताऊ स्नेहवश उन्हें नवाबराय के नाम से भी सम्बोधित करते थे। अपने साहित्यिक जीवन का शुभारंभ उन…

सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन 'अज्ञेय' का जीवन परिचय, प्रमुख रचनाएं, साहित्यिक विशेषताएं

हिंदी साहित्य क्षेत्र में नए प्रयोग के प्रवर्तक रूप में सर्व परिचित रहे अज्ञेय जी मूलतः एक कवि रह चुके हैं। उनका पूरा नाम सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन 'अज्ञेय' है । अज्ञेय का जन्म (7 मार्च 1911-1987 ई.) ग्राम कसया जनपद देवरिया में हुआ था। अ…

फीचर लेखन क्या है? फीचर लेखन के कितने प्रकार है?

फीचर को हिंदी में रूपक भी कहा गया है। लेकिन पत्रकारिता में फीचर से हमारा आशय समाचार पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित उन विशिष्ट लेखों से है जो हमें आनंदित और प्रफुल्लित करते हैं। इन लेखों में वण्र्य विषय का प्रस्तुतीकरण इस प्रकार किया जाता है कि उनका रूप प…

सूर्यबाला का जीवन परिचय और रचनाएँ

सूर्यबाला का जीवन परिचय सूर्यबाला जी का जन्म एक कायस्थ परिवार में 25 अक्टूबर 1944 को वाराणसी में हुआ। इनका पूरा नाम सूर्यबाला वीरप्रतापसिंह श्रीवास्तव है। अपने जन्मस्थान वाराणसी से सूर्यबाला जी को बेहद लगाव है और अनेक यादें भी जुड़ी हैं। वाराणसी की गल…

प्रताप नारायण मिश्र की प्रमुख रचनाएं और साहित्यिक विशेषताएं

प्रतापनारायण मिश्र का जन्म २४ सितम्बर १९५६ को इन्नाव, उत्तर प्रदेश में हुआ था । इनके पिता ज्योतिषी थे, इनके पिता भी इन्हें ज्योतिष बनाना चाहते थे, किन्तु इनका मन पढ़ाई में अधिक लग रहा था । इन्होंने अंग्रेजी, उर्दू, फारसी, संस्कृत, हिन्दी और बंगला भाषा…

गद्य शिक्षण की विधियाँ, महत्व, उद्देश्य

गद्य साहित्य का महत्त्वपूर्ण अंग है, जिसमें छन्द अलंकार योजना रस विधान आदि का निर्वाह करना आवश्यक नहीं। गद्य की विशेषता तथ्यों को सर्वमान्य भाषा के माध्यम से, ज्यों का त्यों प्रस्तुत करने में होती है। गद्य साहित्य की अनेक विधाएँ है- कहानी नाटक, उपन्य…

व्याकरण का अर्थ, परिभाषा, महत्व और विशेषताएँ

व्याकरण वह शास्त्र है जो भाषा से संबंधित नियमों का ज्ञान करता है। किसी भी भाषा की संरचना का सिद्धांत अथवा नियम ही उसका व्याकरण है। यदि नियमों द्वारा भाषा को स्थित न रखा जाए तो उसकी उपादेयता, महत्ता तथा स्वरूप ही नष्ट हो जायेगा। अत: भाषा के शीघ्र परिव…

विवेकी राय का जीवन परिचय, व्यक्तित्व, प्रकाशित निबंध संग्रह

विवेकी राय हिन्दी और भोजपुरी भाषा के प्रसिद्ध साहित्यकार थे। विवेकी राय ने 50 से अधिक पुस्तकों की रचना की थी। वे ललित निबंध, कथा साहित्य और कविताकर्म में समभ्यस्त थे और मूलतः गंवई सरोकार के रचनाकार थे। बदलते समय के साथ गांवों में होने वाले परिवर्तनों …

रामवृक्ष बेनीपुरी का जीवन परिचय

रामवृक्ष बेनीपुरी का जीवन परिचय रामवृक्ष बेनीपुरी का जन्म एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। इनका जन्म 23 दिसम्बर 1899 ई0 को गाँव बेनीपुर, थाना कटरा, जिला मुजफ्फरपुर , बिहार में हुआ था। रामवृक्ष बेनीपुरी का पूरा नाम रामवृक्ष शर्मा ‘रामवृक्ष बेनीपुरी’ था।…

सूरदास का जीवन परिचय, रचनाएं, भाव पक्ष, कला पक्ष, साहित्य में स्थान

सूरदास (Surdas) का संबंध भक्ति काव्य से है। ईश्वर के प्रति प्रेम की अनुभूति को भक्ति कहते हैं। लेकिन संपूर्ण भक्ति काव्य एक-सा नहीं है। जो भक्त-कवि ईश्वर को निर्गुण-निराकार मानते थे और अवतारवाद में विश्वास नहीं रखते थे, वे निर्गुणमार्गी भक्त कवि कहलाए…

सूर्यकांत त्रिपाठी निराला का जीवन परिचय, प्रमुख रचनाएं, साहित्यिक विशेषताएँ

निराला छायावादी युग के महत्वपूर्ण  कवि है।  सूर्यकांत त्रिपाठी निराला का जीवन परिचय  सूर्यकांत त्रिपाठी निराला (1897 - 1962 ई.) का जन्म संवत 1953 वि. वसंत पंचमी के दिन ग्राम गढ़कोला जनपद उन्नाव में हुआ था। इनके पिता का नाम पं. राम सहाय त्रिपाठी था। …

द्विवेदी युग की साहित्यिक प्रवृत्तियाँ, नामकरण एवं युगीन परिस्थितियाँ।

हिंदी साहित्य के आधुनिक काल में एक नवीन मोड़ आया। साहित्यकारों का चिंतन व्यष्टि से समष्टि, वैयक्तिक से सामाजिक, जड़ता से चेतना, स्थायित्व से प्रगति, श्रृंगार से देशभक्ति, रूढ़ि से स्वच्छंदता की ओर अग्रसर हुआ। भारतेंदु युग के कवियों में भावबोध आधुनिकता…

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